tag:blogger.com,1999:blog-6139665639043021283.post8787311683710855993..comments2018-04-15T10:33:24.884-07:00Comments on औरतें: मैं भूल नहीं सकताNilay Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/11983436832419492691noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6139665639043021283.post-66103854282810003402018-04-15T10:25:43.673-07:002018-04-15T10:25:43.673-07:00एक माँ की ऐसी व्यथा कथा को एक कवि से बेहतर कौन जान...एक माँ की ऐसी व्यथा कथा को एक कवि से बेहतर कौन जान सकता है | ? अत्यंत मर्मस्पर्शी और मन भिगोने वाला काव्य चित्र रच दिया आपने | एक माँ के लिए संतान से बढ़कर कुछ नहीं | और नवजात के लिए दूध और वेदना से फटती छाती की पीड़ा कौन समझ सकता है एक कवि के सिवा | वही जन्म के पार की दृष्टि को भांपने में सक्षम है | हृदयविदारक रचना आदरणीय | सादर आभर -- रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com