रविवार, 6 मार्च 2016

स्कूल



स्कूल

खच्च से लगा ब्रेक स्कूटर का
तो आई जान मे जान,
यह आपकी ही दुआ होगी.बच गए आज

मुड के देखा
भरी पूरी देह वाली औरत
एक पांव जमीन पर टिकाए,दोनो हाथो से हैंडल थामे
पीछे दो बच्चे,वो भी मोटे ताजे, कंधो पर
स्कूल का बस्ता बांधे बैठे थे और वह
मेरे भय से बेखबर
गर्दन घुमा कहीं और देख रही थी

समझ गया,
वो जो कंधे में बस्ता लटकाए
बच्चे का हाथ थामे आ रही है उस औरत से
चल रही है आंखो की बतकही, यही कहती है
दोनो की मुस्कान
एक में बसती है दूसरे की जान
निकल गया मन का भय
अच्छा लगने लगा सब कुछ

हे भगवान आगे एक बच्चा खडा
उसके बाद खुद बैठी , पीछे दूसरी वाली
और उसकी गोद में एक बच्चा
एक दोनो के बीच में पिचका
मेरे बगल से सन से गुजरी तो
सकून मिला ,आंखों को सुख मिला.नाक में भर गई
उसके आत्मविश्वास की खुशबू

और हैंडल में
टंगे, सामने पांव पसार लटके
उन बस्तों का क्या कहूं,जिसमे कैद है
सारी दुनिया का ज्ञान, इतरा रहे है
चिल्ला रहे है
हम स्कूल जा रहे है।

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