रधिया का
भाई
रधिया
ने गोबर से लीपा
घर
ऑगन
ओसारा और
चहकने लगी
आज
भाई आयेगा रधिया का
क्या
खिलाएगी - क्या पिलाएगी
कहॉ
बिठाएगी
बहुत
दिनों बाद ऐसी खुश है रधिया
अपना
ऑचल
धरती
की तरह पसर देगी
पलकों
का बिस्तरा डाल देगी
उस
पर बैठेगा भाई
रधिया
का
पूछेगी-
गॉव के आमों पर
कैसे
मंजर आए हैं इस साल
पूछेगी-भाभी
की ऑखों में अब भी
कितना
पानी बचा है रधिया के लिए
दही
के मटकों से छाली बटोर लाई है
भाई
की पसंद वहीं जानती है
रोक
लेगी आज ,कहेग- जल्दी है कसम
दे देगी अपनी
और नहीं जाएगा वह
रात
रात भर सुनता था कहानियॅ
रधिया
फिर सुनाएगी कहानी
घर
गॉव
पति
के रिश्तो की
और
बीच में ही चुप हो जाएगी
ऐसे
में समझ जाएगा रधिया का भाई
कि
इससे आगे और नहीं कह पाएगी रधिया
रधिया
क्या
कोई
भी औरत इससे आगे नहीं कह पाएगी
पहले
वह गुस्साएगी
इतने
दिनों के बाद क्या भाई आता है
क्या
कोई ऐसे भी भूल जाता है बहना को
ऎसी बहना को
ऎसी बहना को
ऎसी बहना क्प
जिससे
सॉस के वक्त हवा भी
कम
पड़ जाती हो....।
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