मुम्बई का इन्द्रधनु
बारिश
तेज थी
और मैं सडक पर था
और मैं सडक पर था
नगरपालिका
की मेहरबानी से पानी था
एक पाव उठाया कि सामने दिखा एक और पांव
एक पाव उठाया कि सामने दिखा एक और पांव
वो
मक्खन की लोई सी उंगलिया,
कानी
उंगली के
बगल वाली उंगली में चांदी की बिछिया
टह टह लाल चप्पल
गोटा सफ़ेद
और पीली साडी
बगल वाली उंगली में चांदी की बिछिया
टह टह लाल चप्पल
गोटा सफ़ेद
और पीली साडी
दुनिया
की सबसे सुंदर
इस औरत के सम्मान मे
मैंने सोचा खींच लूं अपना पांव
लेकिन खींच लिया उसने ,मुझसे पहले
इस औरत के सम्मान मे
मैंने सोचा खींच लूं अपना पांव
लेकिन खींच लिया उसने ,मुझसे पहले
नजर
उठी
क्या
आंखे थी ,
नन्दन
वन के वेर सी कनेर सी,
और
उस पर जो छिटकी थी मुस्कान
मन ही मन मैंने कहा
देख लिया मुंबई में इंद्र धनु।
मन ही मन मैंने कहा
देख लिया मुंबई में इंद्र धनु।
वाह !!!!!आदरणीय आपकी कवि दृष्टि धन्य है जो इस तरह के देव धनु को पहचान सकती है | सादर आभार ---
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