लोकल के डब्बे में हिरोईन
लोकल का डब्बा भरा था
जब एक सुन्दर सी औरत घुसी,
लोगो पर नजर डाल
जैसे कलप कर कहा -मेरा बच्चा
और तलाश की बदहवासी में निकल गई
बाहर
जाते ही किसी ने कहा अरे पहिचाना
उसे
कौन थी वह
सबको लग रहा था चेहरा उसका
जाना पहिचाना
नाम आते ही पहचान गए सब
वह थी बालीवुड फ़िल्मों की नामी हिरोइन
कई निकलने को तत्पर हुए
मगर चल पडी लोकल और चर्चा निकल
गई
अभी तीन साल पहले उसकी शादी हुई
थी
एक बच्चा भी था
पति से तलाक के किस्से भी गरम थे
क्या हुआ बच्चे को पर अंटक गई
बात
घर आने के बाद ड्ब्बे में सवार हर आदमी ने
अपनी बीबी से कहा,
बीबी ने बताया मुहल्ले की औरतो
को
मुहल्ले की औरतो ने दूसरी को
और देखते देखते फ़ैल गई
लोकल के डब्बे से घर घर तक
हिरोईन के
आने की खबर
और सबके चेहरे पर तैर गया
लाख टके का यह सवाल
आखिर क्या हुआ उसके बच्चे का
गहराती रही रात
गहराता रहा दुख ,सोचते रहे सब
जरूर साजिश होगी उसके पति की
और जैसा की समय है
पैसों के लिए अपहरण भी हो सकता
है
पता नही किस हाल में होगी
बेचारी नन्ही सी जान
औरत
औरत ही होती है
दुख को अनदेखा नहीं करती
कुछ ने मन्नते मानी,
कुछ को नींद नही आई रात भर
अगली सुवह
अखबार में छोटी सी खबर थी
कि आने वाले सीरियल जिसमे गुम हो
जाता है
मुम्बई के किसी स्टेशन पर एक मां का बेटा
का प्रमोशन करने चर्च गेट स्टेशन
गई थी
बालीवुड फ़िल्मों की नामचीन हिरोइन
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