रविवार, 6 मार्च 2016

धॉय-धॉय बज रहा है बैंड बाजा



धॉय-धॉय बज रहा है बैंड बाजा

आा गई है बारात
जैसे रक्त -स्नात आया हो दुल्हा

शहनाई
बैंड-बाजे जैसे हथौड़े बरस रहे हों कनपटी पर
कोई उखाड़ रहा मंडप के बॉस
नोच रहा है सटें रंगीन कागज
फोड़ रहा है गुब्बारे

हिल रहा है
ब्राह्मण का मंत्र हिल रहा है
औरतों के सगुन- गीत , नाइन के हाथ
बाप का जंघा हिल रहा है
शादी के पीढ़े के नीचे पृथ्वी हिल रही है

बढिया घर
खूब बढि़या वर खोजना बचिया का
भाई ने पूरा आसमान भेजा था
लिफाफे में

कोई ठूंस रहा है चुटकी में
भखरा सिन्दूर, उठा रहा है रक्त चूर
कोई उड़ा रहा है
कोई बटन दगा रहा है - टारगेट...
भाई की कलाई से जैसे रक्त टपक रहा है
बगदाद बसे भाई की कलाई से जैसे रक्त टपक रहा है
टप्...टप्प...टप्
बरस रही है बचिया की ऑख

बैंड बाजा बज रहा है-
धॉय -धॉय बज रहा है बैड बाजा



( इराक युद्ध के कारण भाई शादी में नहीं शरीक हो सका। बहन ने इनकार किया कि भाई आएगा तो उसकी शादी होगी। खर्च इतना हो गया था कि शादी वगैर भाई के हुई)

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