गनेस बहू
घूंघट
में
और
पीछे सरक गई है गनेस बहू
पता
नहीं कब
कैसी
खबर आ जाय
यहीं
तो कहा था पति ने
जाते
हुए
क्या
भरोसा
गाजर
की खेती
और
दूर देश की नौकरी का
उधार
खाते
लाज
का कलेजा काठ हो गया है
उसके
भीतर
ऑधियॉ
चल रही है
मान चुकी कितनी मनौतियां
बस कुसल
से हो पति
मुआ
डाकिया
दरवाजे पर बैठा
कहता
क्यों नहीं कुछ भी
जल्दी...
हाय
राम!
इससे
बड़ी खुशी और क्या होगी
कि
दूर देस में कुसल है पति
पति
ने
रूपये
भेजे हैं खर्च के
बच्चों
को दुआएं और उसे...प्यार...
हाय
राम
शरम
भी न आई उसे
इस
उम्र में डाक से भेजते प्यार
सरेआम...।
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