रविवार, 6 मार्च 2016

रामकली



रामकली
पढी लिखी मैट्रिक पास
तब भी गउ थी रामकली
सिर उठाकर नहीं चलती
मुंह उठाकर नहीं बोलती
गुस्सा आता
तो रहती चुप

उसके आंगन में काई नहीं लगा कभी
शीशे की तरह चमकता है माटी का घर
गंध से अनुमान लगा लेती स्वाद का
कभी कम या ज्यादा नहीं हुआ
रसोई में नमक

जागती तो पांव छू लेती
सोने जाती तो पूछ लेती सास से
सबने कहा ,दस घर दुश्मन को भी बहू मिले
ऎसी ही, घर लक्ष्मी

हाय राम,लीप पोत दिया अपना सारा गुन
नाक कटवा दिया गांव में ससुर का
पति ने मना किया नही मानी
अकेले निकली
और डाल कर आई अपना बोट

इस गांव में
जहां कभी बोट नहीं डाला औरतो ने
यह तो गजब कर दिया रामकली ने

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