मां
मॉ...
फिर
कोई लोरी सुना दो मुझे
थपकी
देकर सुला दो
रातों
में
मुझे
नींद नहीं आती
मॉ
मुझे
धूप की चटाई पर लिटा दो
और
सरसों का तेल मलो
मैं
खड़ा नहीं हो पाता
अपने
पॉव पर
मॉ
मुझे
फिर सुनाओ
भूखी
चिडि़या और बढ़ई का किस्सा
मेरा
दाना
खूंटे
में अटक गया है
मॉ
ऑचल
भिगा
मेरा
चेहरा पोंछ दो
मेरे
बाल सॅवार दो
और
स्कूल के रास्ते पर खड़ा है भैसा
उसे
हटा दो मॉ
मेरे
लिए झुकी तुम्हारी रीढ़
मेरे
लिए चेहरे पर झुर्रियॉ ढोती
मेरी
मॉ
मुझे
शक्ति दो
मुझे
फिर से सिरजो।
मेरे लिए झुकी तुम्हारी रीढ़
जवाब देंहटाएंमेरे लिए चेहरे पर झुर्रियॉ ढोती
मेरी मॉ
मुझे शक्ति दो
मुझे फिर से सिरजो।--- आदरनीय आज आपकी रचनाओं ने खूब भिगोया | सब पर लिख नहीं पायी | देखती हूँ पाठकों से खाली तो बहुत दुःख हुआ | कृपया इन्हें गूगल पलुआ पर शेयर करें साथ ही अन्य groups , में भी | आपकी रचनाये सरस सरल और पठनीय हैं | माँ पर बहुत ही मर्मस्पर्शी लेखन |सादर आभार