उनका रोना
किसी
अदृष्य लटाई पर
सॉस
के तागों से
तान
रही थी सारा आसमान
और
ढीला छोड़ रही थी ,औरतें रो रही थी
कंधो
में कंधा
सिर
में सिर
जैसे
छाती में घुसकर
कस
रही थी रिश्तों की गॉठ
उनके
रोने में
एक
बछड़ा हॅकर रहा था
एक
गाय मचल रही थी
जो
खड़े थे पास
जहॉ
तक पहुंच रही थी उनकी आवाज
बरसात
थी ,संक्रामक था उनका रोना
उन्हें
कुछ पता नहीं था
सुधि
नहीं थी कपड़ों की
दहेज
के लिए बिका खेत, गिरवी मकान
जहर
खाई ,जलाकर मारी गई सखियों के किस्से
उन्हें
सचमुच कुछ नहीं पता
यह
भी नहीं कि वे रो रही थीं।
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