रविवार, 6 मार्च 2016

यह मैं चाहता था



यह मैं चाहता था
(आस्था के लिए )

मैने अपनी बेटी को
डोली मे नहीं विठाया,

बस कहा
जा बेटी

उसने भी ना नही कहा
एक बार मुड के देखा
कहा
वाह पापा
और चली गई

गले लग कर
रो ले
नहीं पूरी हुई साध मेरी पत्नी की
न हो पूरी यह मैं चाहता था

मुझे भी तो कहना था
बेटी दान की वस्तु नही है

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