मां
की सीख
बेटी
चिडियो के पहले जागना
और कुत्तों के बाद सोना
सास बोले बज्जर हो जाना
ससुर बोले तो पृथवी
देवर को मजाक में टालना
पति की बलैया लेना
आंख की पुतरी,
घी की गगरी मेरी बेटी
कम खाना और गम खाना
सूरज को दिन का ग्रहण लगता है
चन्दा को रात का
औरत का ग्रहण उग्रह नहीं होता
सुख की नदी बन बहना
मक्खन की डली
गोभी के फ़ूल सी मेरी बेटी
भीतर कभी आग लगे, तूफ़ान के झोंके आए
तो मां की सीख जरूर याद करना
अच्छा नहीं होता
धरती और औरत के मुंह में दांत होना
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