हम डरेंगे
नही आज की
रात
वे
आए...
वो
आए ...
बिलकुल
ही पास आ गए पहाड़
काले -सफेद विकराल
नाक
खतरे की गंध सूंघ रही है
खतरे
की आहट टटोल रहे है कान
क्या
भरोसा
इन
काठ दरवाजों का
विजली गायब है
दिया
नहीं जला घरों में
प्रकाश
हो
तो
अनुमान होता है आदमी होने का
आस्था -
मुझे
रात भर पापा कहो
मैं
बेटा कहूगा रात भर
वे
आए
वो
भी आए
बिलकुल
ही पास आ जाए पहाड़
सवार
हो जाये सीन पर
हम
डरेंगे नही आज ।
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