रविवार, 6 मार्च 2016

हम डरेंगे नही आज की रात



हम डरेंगे नही आज की रात

वे आए...
वो आए ...
बिलकुल ही पास गए पहाड़
काले -सफेद विकराल

नाक खतरे की गंध सूंघ रही है
खतरे की आहट टटोल रहे है कान
क्या भरोसा
इन काठ दरवाजों का

विजली गायब है
दिया नहीं जला घरों में
प्रकाश हो
तो अनुमान होता है आदमी होने का

आस्था -
मुझे रात भर पापा कहो
मैं बेटा कहूगा रात भर

वे आए
वो भी आए
बिलकुल ही पास जाए पहाड़
सवार हो जाये सीन पर
हम डरेंगे नही आज

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